खेत की खुदाई से उठा ऐतिहासिक रहस्य; जब ज़मीन ने दास्तान बयां की…

पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के एक गांव में किसान को खुदाई में कुछ ऐसा मिला कि वह दौड़ा हुआ प्रशासन के पास पहुंच गया. वो चीज कुछ ऐसी थी कि प्रशासन ने भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण विभाग को खबर कर दी. फिर एएसआई ने खुदाई शुरू की और फिर कुछ ऐसी चीजें निकलती गईं कि इतिहास में नए अध्‍याय जुड़ते चले गए.

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उत्‍तर प्रदेश के बागपत में एक गांव की कृषि भूमि से किसान प्रभाष शर्मा को खेती के लिए खुदाई के दौरान कुछ ऐसी चीजें मिलीं, जिससे वह प्रशासन के पास जाने को मजबूर हो गए. जब वह उन चीजों को लेकर प्रशासन के पास पहुंचे तो महसूस किया गया कि उस जगह की और खुदाई करने की जरूरत है. इसी के बाद यमुना नदी से महज 8 किमी दूरी पर मौजूद सिनौली गांव में भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण विभाग की टीम की आमद शुरू हो गई. बता दें कि सिनौली गांव करीब 4,000 बीघे में फैला गांव है. इस गांव की आबादी करीब 11,000 है. इनमें सबसे बड़ी संख्‍या जाटों की है. ब्राह्मण यहां दूसरे नंबर पर हैं. इसके अलावा मिश्रित आबादी वाले सिनौली में दलित व मुस्लिम परिवार भी हैं.

किसान खेत में कर रहा था खुदाई, तभी आई खट की आवाज, जमीन से निकला कुछ ऐसा, पलट गया इतिहास - farmer was digging in field a knocking sound came khajana came
सिनौली की जमीन से करीब 4,000 साल पुरानी एंटीना तलवार और तांबे का कवच मिला है.

देश भर में सिनौली गांव की चर्चा पहली बार 2005 में शुरू हुई. ग्रामीण प्रभाष शर्मा की जानकारी के बाद गांव में पहुंची एएसआई की टीम ने खुदाई में कई प्राचीन चीजें ढूंढ निकालीं. एएसआइ को यहां से 106 मानव कंकाल मिले. जब इनकी कार्बन डेटिंग की गई तो पता चला कि कंकाल 3,000 साल से भी ज्‍यादा पुराने थे. इसके बाद एक्‍सक्‍वेशन साइट को भरकर बंद कर दिया गया. इसके बाद 2017 में फिर खुदाई की गई. एएसआई को सबसे बड़ी सफलता 2018 में की गई तीसरे चरण की खुदाई में मिली. इसमें उन्‍हें एक से बढ़कर एक शानदार वस्तुएं मिलीं. एएसआई को पता चला कि सिनौली की जमीन में कई सभ्यताएं दफन हैं. इसके बाद स्‍थानीय लोग खुद को महाभारत काल से जोड़कर देखने लगे.

लिखित इतिहास को चुनौती दे रहे साक्ष्‍य
विशेषज्ञ कहते हैं कि सिनौली में मिले प्रमाण अंग्रेजों के लिखे इतिहास को बदलने के लिए पर्याप्‍त हैं. सिनौली की जमीन से निकले करीब 4,000 साल पुराने रथ, एंटीना तलवार और ताबूत पर एएसआई के पूर्व सुपरिंटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट और इतिहासविद् कौशल किशोर शर्मा का कहना है कि सिनौली में ऐसी-ऐसी खास चीजें मिलीं, जो भारत में किसी भी उत्‍खनन साइट से नहीं निकलीं थीं. उनका दावा था कि सिनौली से मिले सबूत भारत में आर्यों के आक्रमण की मैक्समुलर थ्योरी को झुठलाते के लिए काफी हैं. अब ये प्रमाण लाल किला तक पहुंच गए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि सिनौली की संस्कृति का संबंध उत्तर वैदिक काल और हड़प्पा सभ्यता के बीच की संस्कृति का लगता है.

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सिनौली की खुदाई में क्‍या-क्‍या मिला
सिनौली की खुदाई में एक शाही कब्रगाह में मिली आठ कब्र में से तीन खाट के आकार वाले ताबूतों में हैं. इनके साथ हथियार, ऐशो-आराम की चीजें, बर्तन, पशु-पक्षियों के कंकाल मिले. वहीं, इस कब्रगाह में शवों के साथ दफनाए गए तीन रथ भी मिले. पुरातत्‍व विशेषज्ञों ने तब कहा था कि सिनौली में मिले ताबूत पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए नई खोज हैं. ये भारत की 4,000 साल से भी ज्‍यादा पुरानी विकसित संस्कृति को दर्शाते हैं. मेसोपोटामिया और दूसरी संस्कृतियों में 2000 ईसा पूर्व के आसपास जैसे रथ, तलवार, ढाल और हेलमेट मिलते थे, उसी काल के आसपास की चीजें सिनौली में भी मिलीं. दावा किया गया कि ये तकनीकी तौर पर काफी उन्‍नत थीं. ये चीजें दूसरी सभ्यताओं के समकालीन या थोड़ा पहले ही यहां आ चुकी थीं.

तांबे के कवच और पूजा के थाल मिले
सिनौली में खुदाई के दौरान जो रथ, तांबे की तलवार और मुकुट मिले, वे 2300-1950 ईसा पूर्व के बताए जा रहे हैं. इन प्रमाणों से पता चलता है कि हड़प्पा सभ्यता के समकालीन सभ्यता गंगा नदी के किनारे भी विकसित हो रही थी. खुदाई में मिला तांबे का हेलमेट करीब 2200 ईसा पूर्व का है और दुनिया की किसी भी सभ्यता में उपलब्ध सबसे प्राचीन हेलमेट है. वहीं, एएसआई को मिले तांबे के कवच में आसपास की लकड़ी गल गई है, लेकिन धातु अब तक सुरक्षित है. इसके अलावा एक तांबे का थाल भी मिली. पूर्वी भारत में पूजा के लिए इसका इस्‍तेमाल आज भी सामान्य है. खुदाई के दौरान मौजूद रहे पुरातत्वविद् संजय मंजुल का मानना है कि धातुओं से बनी हुई चीजों की बनावट हड़प्पा संस्कृति में मिली धातु की वस्‍तुओं से अलग है.

खुदाई में मिली महिला योद्धा की कब्र
एएसआई को कब्रगाह की खुदाई के दौरान एक योद्धा की कब्र भी मिली. दरअसल, इस कब्र में कंकाल के एंटीना तलवार, ढाल, रथ और कई दूसरी ऐसी चीजें मिलीं, जिनसे पता चला कि ये कब्र किसी योद्धा की है. इसके अलावा सिनौली की खुदाई में ही पता चला कि भारतीय महिलाएं भी योद्धा होती थीं. इससे पहले की मिली सभ्‍यताओं से यही अनुमान लगाया गया था कि भारतीय महिलाएं योद्धा नहीं होती थीं. सिनौली की खुदाई में एक महिला की कब्र से भी योद्धाओं से जुड़ी सभी चीजें मिली थीं. वहीं, यहां पहली बार एंटीना तलवार मूठ के साथ मिली. इससे पता चला कि योद्धा एंटीना तलवार का इस्‍तेमाल कैसे करते थे. बता दें कि इससे पहले दुनियाभर की सभ्‍यताओं में मिली एंटीना तलवार मूठ समेत नहीं मिली थी.

एएसआई को सिनौली में कब्रों के साथ दफनाए गए तीन रथ भी मिले.

क्‍या भारत में बाहर से नहीं आया घोड़ा
पुरातत्‍वविद् संजय मंजुल के मुताबिक, अब तक यही माना जाता था कि भारत में घोड़ा बाहर से आया था. लेकिन, अगर सिनौली की खुदाई में कांस्य युग के रथ मिले हैं तो उनको चलाने के लिए किसी जानवर की जरूरत भी होगी. सवाल ये है कि क्या यह बैल था या घोड़ा? रथ की बनावट को देखकर शुरुआती समझ घोड़े की ओर इशारा कर रही है. यह रथ मेसोपोटामिया जैसी समकालीन संस्कृतियों में पाए जाने वाले रथ जैसा दिखता है. इसमें बिना तीलियों वाले ठोस पहिये हैं. पहियों पर कांसे की परत का काम भी किया हुआ है. इसके अलावा रथ के सवार के लिए मुकुट या हेलमेट भी मिला है. उन्‍होंने कहा कि ताम्रपाषाण काल ​​में घोड़े के साक्ष्य मिले हैं. सिनौली की खोज प्राचीन भारतीय इतिहास को ज्‍यादा जानने के लिए रास्‍ते खोलेगी.

महाभारत काल की डेटिंग में होगी मदद
पुरातत्‍वविदों के मुताबिक, सिनौली की खुदाई में मिली चीजें लौह युग से पहले यानी कांस्य युग के समय की हैं. उनके अनुसार, यह खोज महाभारत काल की डेटिंग और हड़प्पा युग में घोड़े की उत्पत्ति की जांच के लिए राह खोलेगी. सिनौली पुरातात्विक स्थल की खुदाई में कब्रों और आसपास की बस्तियों से बरामद सामानों की बनावट मौजूदा दौर के बर्तनों से काफी मिलती-जुलती हैं. एएसआइ ने सिनौली गांव में 40 किसानों की 28 हेक्टेयर भूमि को राष्‍ट्रीय स्मारक क्षेत्र घोषित कर दिया है. भूमि की घेराबंदी कर दी गई है. दिल्ली के कश्मीरी गेट से सवा घंटे में सिनौली गांव पहुंचा जा सकता है. इसके लिए दिल्ली से सहारनपुर जा रहे राजमार्ग पर बागपत होते हुए बड़ौत पहुंचना होगा. फिर छपरौली की ओर करीब 6.5 किमी आगे सादिकपुर सिनौली का बोर्ड मिलेगा.

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