Driving Licence : अब बिना टेस्ट दिये बना सकते हैं ड्राइविंग लाइसेंस, बस करना होगा ये काम

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Driving Licence : अगर आप ड्राइविंग लाइसेंस बनवा रहे हैं तो आपको बार-बार आरटीओ कार्यालय नहीं जाना पड़ेगा। इतना ही नहीं ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आपको अलग से कोई टेस्ट नहीं देना होगा। अब बिना टेस्ट दिए बनवा सकते हैं ड्राइविंग लाइसेंस, करना होगा ये काम

ड्राइविंग लाइसेंस के नए नियम: अगर आप अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना चाहते हैं तो अब आप बिना टेस्ट दिए आसानी से ड्राइविंग लाइसेंस हासिल कर सकेंगे. भारत में ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्यों में से एक है। इसलिए लोगों को इसे बनवाने के लिए कई बार ड्राइविंग टेस्ट से गुजरना पड़ता है। इसे देखते हुए अब ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है.

अगर आप ड्राइविंग लाइसेंस बनवा रहे हैं तो आपको बार-बार आरटीओ कार्यालय नहीं जाना पड़ेगा। इतना ही नहीं ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आपको अलग से कोई टेस्ट नहीं देना होगा। ड्राइविंग लाइसेंस के इस नए नियम से आम जनता को काफी राहत मिलेगी।

इस तरह आप ड्राइविंग सीख सकते हैं
केंद्रीय सड़क, राजमार्ग और परिवहन मंत्रालय द्वारा लागू किए गए नए नियमों के अनुसार अब आप ड्राइविंग परमिट के लिए ड्राइविंग स्कूल जा सकते हैं। ड्राइविंग स्कूल में अपना नाम दर्ज कराएं। आप किसी स्कूल में दाखिला लेकर ड्राइविंग सीख सकते हैं। इसके बाद आपको परीक्षा के आधार पर ड्राइविंग स्कूल की ओर से सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इस सर्टिफिकेट को परमिट पेपर के साथ रखना होता है। इसके बाद आपको किसी भी तरह के ड्राइविंग टेस्ट से नहीं गुजरना पड़ेगा। इससे आपको ड्राइविंग लाइसेंस आसानी से मिल जाएगा। इससे न केवल आपका समय बचेगा, बल्कि आपको लंबी कतारों में खड़े होने से भी राहत मिलेगी।

इन बातों का रखें ध्यान : ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आपको किसी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग स्कूल से ट्रेनिंग लेनी होगी। ध्यान रहे कि ड्राइविंग स्कूल की वैलिडिटी पांच साल से ज्यादा होनी चाहिए। ड्राइविंग स्कूल द्वारा आयोजित परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। यहां से आपको सर्टिफिकेट मिल जाएगा।
प्रमाण पत्र के आधार पर आरटीओ द्वारा आपको ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाएगा।

ड्राइविंग स्कूल के पाठ्यक्रम में रोड मैनर्स, रोड रेज, ट्रैफिक नियम, प्राथमिक उपचार, दुर्घटना के कारण और ड्राइविंग के समय माइलेज जैसी चीजें शामिल करनी होंगी। पाठ्यक्रम का सैद्धांतिक भाग आठ घंटे तक चलेगा।

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