Pardeep Mishra Katha Live: बैतूल में पंडित प्रदीप मिश्रा जी की कथा का दूसरा दिन, यहां देखें Live..

Pardeep Mishra Katha Live: विख्यात कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी की मध्यप्रदेश के बैतूल में 12 से 18 दिसंबर तक मां ताप्ती शिवपुराण कथा हो रही है। कोसमी फोरलेन स्थित किलेदार गार्डन में यह भव्य आयोजन किया जा रहा है। कथा वाचक पंडित मिश्रा की पहले दिन की कथा सोमवार को हुई। पहले दिन ही एक लाख से ज्यादा भक्त उनकी कथा सुनने के लिए उमड़ पड़े। आज मंगलवार को उनकी कथा का दूसरा दिन है। रोजाना दोपहर एक से चार बजे तक उनकी कथा हो रही है।

कई श्रद्धालु ऐसे भी हैं जो कि कथा सुनने के लिए आना तो चाहते हैं, लेकिन व्यस्तताओं या अस्वस्थता के चलते नहीं आ पा रहे हैं। ऐसे श्रद्धालु अपने घर बैठे या कार्यस्थल से ही बैतूल में हो रही यह कथा सुन सकते हैं। पंडित मिश्रा के यू ट्यूब चैनल पर कथा का लाइव टेलीकास्ट किया जाता है। हम उसी चैनल की लिंक यहां रोजाना उपलब्ध करा रहे हैं। इसके माध्यम से आप पंडित प्रदीप मिश्रा की बैतूल में हो रही यह कथा बिना किसी परेशानी के देख और सुन सकते हैं।
यहां देखें लाइव (pardeep mishra live katha betul)
वैसे भी आज टीवी और मोबाइल पर ही कथा सुनने की अपील स्वयं पंडित मिश्रा जी ने ही की है। इसकी वजह यह है कि पहले दिन कथा के ठीक बाद भारी बारिश से आयोजन स्थल पर कीचड़ और दलदल हो गया है। आयोजन समिति सुधार में जुटी हैं, लेकिन कुछ घंटों में व्यवस्था पूरी तरह दुरुस्त हो पाना संभव नहीं लग रहा है। दूसरी ओर आज भी बारिश की संभावना जताई गई है। ऐसे में कथा स्थल पर सुनने जाने वाले श्रद्धालुओं को कल की तरह परेशान होना पड़ सकता है। इसलिए बेहतर है कि घर पर टीवी या मोबाइल पर ही कथा श्रवण किया जाएं।
उल्लेखनीय है कि पहले दिन की कथा में पंडित मिश्रा जी ने कहा था कि हर किसी को फैशन और व्यसन से बच कर रहना ही होगा। शराब, जुआ, वेश्यावृत्ति, मांसाहार आदि व्यसन ऐसे हैं जिनमें धन जाना शुरू होता है तो गड़बड़ शुरू हो जाती है। ऐसा होने पर ज्यादा दिन का ठिकाना नहीं रहता है। ऐसी गलती न तो अपनाएं और यदि अपना चुके हैं तो उसे जल्द से जल्द सुधार लें।

मां ताप्ती शिवपुराण समिति के तत्वावधान में हो रही इस कथा में पं. मिश्रा ने कहा कि हर व्यक्ति और उसके परिवार के पेट की जिम्मेदारी महादेव की है। लेकिन, जब व्यक्ति गलत संगत में पड़कर व्यसन अपना लेता है तो फिर पेट भरने की जिम्मेदारी महादेव नहीं लेते हैं। यदि अचानक परिवार में धन की कमी पड़ने लगे, परिवार में क्लेश होने लगे तो यह तय है कि परिवार के किसी न किसी सदस्य ने उसे गलत जगह लगा दिया। गलत जगह पैसा लगने पर फिर महादेव भी धन देना बंद कर देते हैं। इसके साथ ही उन्होंने शाकाहार अपनाने और नशामुक्ति का संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि जब तक परिवार में स्नेह व खुशी बनी रहेगी, धन सही जगह लगता रहेगा, तब तक धन की कमी नहीं पड़ेगी। इसी तरह शरीर के हर अंग को भी नेक कार्य में लगाना जरुरी है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति शिव को पिता मान कर उनके पास जाएं और मन की बात कहे। हर समस्या का निदान भगवान भोलेनाथ करेंगे।
बेटियां कन्यादान का अवसर पिता को दें
आगे कथा सुनाते हुए पं. मिश्रा ने कहा कि बेटियां परायों के दिखावे, आडंबर और फैशन के झांसे में न आएं और मनमर्जी किए बगैर कन्यादान का अवसर केवल अपने पिता को दें। सनातन धर्म कहता है कि बेटी का कन्यादान करने वाले माता-पिता को कभी 94 नर्क में नहीं जाना पड़ता। बेटियां ही पिता को स्वर्ग या नर्क में पहुंचाती है। अपनी बात स्पष्ट करने के लिए उन्होंने दिल्ली में श्रद्धा के हुए हश्र की जानकारी भी। वहीं पिताओं को भी सीख देते हुए उन्होंने कहा कि वे अपनी बेटियों का विवाह उनसे दोगुनी योग्यता और विद्वता वाले वर से ही करें। इसके लिए उन्होंने भगवान विश्वकर्मा, दक्ष प्रजापति और राजा जनक का उदाहरण भी दिया। उन्होंने यह बात भी कही कि गाय, लक्ष्मी और बेटी यदि गलत जगह दे दें तो देने वाले को रोना पड़ता है।

मां ताप्ती की महिमा से कथा की शुरूआत
पं. मिश्रा ने मां ताप्ती की महिमा सुनाते हुए कथा की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि जीवन में परमात्मा को ढूंढने के लिए लगातार नए-नए तरीके ढूंढना चाहिए। जिस तरह मोबाइल बिगड़ने पर हम पहले खुद सुधारते हैं, न सुधरने पर परिवार के सदस्यों, दोस्तों और अंत में मैकेनिक को दिखाते हैं। उसी तरह मन, बुद्धि, चित्त को पहले खुद ठीक करें, न हो तो परिवार और दोस्तों के साथ प्रयास करें। इस पर भी ठीक न हो तो फिर ऐसे आयोजनों में 7 दिनों के लिए भगवान की शरण में आ जाएं। परमात्मा तक लाकर बुद्धि, चित्त, मन को छोड़ दो। यहां मन भगवान की भक्ति में डूब जाएगा तो जीवन सार्थक हो जाएगा।
एक लोटा जल चढ़ाने का महत्व जाना
पं. मिश्रा ने कहा कि पहले हम मंदिर जाते थे पर यह पता नहीं था कि एक लोटा जल चढ़ाने से क्या हासिल हो जाता है। जब शिवत्व को जाना तो यह पता चला कि भगवान की भक्ति का फल क्या है। यह बाथरे और किलेदार परिवार जो कथा करा रहे हैं, वे शिव के रसत्व का ग्रहण कर चुके हैं। इसलिए कथा को बैतूल लाए। भगवान भोलेनाथ की महिमा बताते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह पक्षी हजारों फलों में मीठा फल ढूंढ लेता है, उसी तरह देवाधिदेव भी अपने भक्तों को ढूूंढ लेते हैं। इस आयोजन में मां ताप्ती और भोले के रसत्व में जितना डूब सकते हैं, उतना डूब जाओं।

कथा करने से नजर आते हैं सच्चे भक्त
उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह ब्लड की जांच से बीमारी पता चल जाती है, उसी तरह कथा कराने से पता चल जाते हैं कि सच्चे भक्त कौन हैं। उन्होंने उन श्रद्धालुओं को सच्चा भक्त बताया जो सुबह 7 बजे से कथा सुनने के लिए बैठे रहते हैं और रात भर भी तमाम परेशानियां सहकर भी यहीं रूकते हैं। उन्होंने बैतूलवासियों का यह आह्वान भी किया कि वे कथा सुनने नहीं आ सकते तो कम से कम इन भक्तों को देखे, इनकी निष्ठा देखें। यह भी तपस्या है और यह भक्त साधु-संत से कम नहीं है। वे भगवान शिव की अविरल भक्ति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मां ताप्ती और शिव बाबा की कृपा हुई है तब बैतूल में यह कथा हो रही है। यहां की व्यवस्था शिव कृपा से खुद ही हो रही है। शिव के रूप में बैतूलवासियों ने सारी व्यवस्था संभाल ली है। उन्होंने बैतूल में हुई व्यवस्थाओं की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।