Pandit Pradeep Mishra Live Katha: मां ताप्ती शिवपुराण कथा का छठवें दिन, देखे लाइव

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मध्यप्रदेश के बैतूल में पंडित प्रदीप मिश्रा जी की मां ताप्ती शिवपुराण कथा चल रही है। यह कथा श्रद्धालुओं की उपस्थिति का हर दिन नया रिकॉर्ड बना रही है। आज शनिवार को कथा का छठवां दिन है। आज स्थिति यह है कि कथा स्थल पर घंटों पहले से ही अपार जनसमूह उमड़ पड़ा है। सुबह से ही लोग अपने घरों से कथा स्थल के लिए निकलने लगे थे। स्थिति यह थी कि 10 बजे तक ही

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नेशनल हाईवे पर बैठकर कथा सुनने की शुक्रवार को ही स्थिति बन गई थी। कल का नजारा देखकर ही यह अंदाजा था कि आज और अधिक श्रद्धालु उमड़ेंगे और यही हुआ भी। कथा तो दोपहर एक बजे के बाद शुरू हुई हैं, लेकिन लोग व्यवस्थित जगह मिल जाए, इस कोशिश में सुबह से पंडाल में पहुंचने लगे थे।

इन सबके बावजूद अभी कई श्रद्धालु ऐसे हैं जो कि चाहकर भी कथा सुनने नहीं आ पाए। उन्हें भी निराश होने की जरूरत नहीं है। हम पंडित प्रदीप मिश्रा जी के यू ट्यूब चैनल की लिंक यहां उपलब्ध करा रहे हैं। इसके जरिए आप इत्मीनान से जहां भी हो, वहां से कथा सुन सकते हैं। पंडित मिश्रा जी की आज छठवें दिन की कथा सुनने के लिए नीचे दिए गए वीडियो स्क्रीन पर क्लिक करें…

इससे पूर्व कल शुक्रवार को पांचवें दिन की कथा में पंडित मिश्रा जी ने कहा था यदि देवाधिदेव महादेव पर आपका प्रबल भरोसा है तो वो आपको संभाल लेंगे। यदि आप एक लोटा जल भी चढ़ा रहे, बेल पत्र चढ़ा रहे तो वह भी भरोसे से ही चढ़ाओं। यदि खुद को अमर करना है तो जीवन में एक बेलपत्र का पेड़ जरुर लगाएं ताकि उसकी पत्तियां महादेव पर चढ़ती रही। इससे हम रहे या न रहे, उनकी सेवा होती रहेगी। आयोजन समिति के सह संयोजक द्वय आशु किलेदार और योगी राजीव खंडेलवाल ने बताया कि मौसम खुल जाने और कथा स्थल पर व्यवस्थाएं दुरूस्त हो जाने से आज कथा स्थल पर भक्तों का अपार सैलाब उमड़ पड़ा।

भवन बनाने से नहीं भजन करने से बढ़ता है गौरव

पं. प्रदीप मिश्रा ने आगे कहा कि केवल रोड, नाली के निर्माण से किसी शहर का गौरव नहीं बढ़ता है बल्कि भजन करने, भक्ति करने से कोई शहर या गांव गौरवान्वित होता है। यह गर्व की बात है कि पहले जो मंदिर सूने पड़े रहते थे, वहां अब भक्त बढ़ रहे हैं। लोग सनातन धर्म से जुड़ रहे हैं। जैसे मौत का कोई भरोसा नहीं कि कब आ जाए, उसी तरह महादेव का भरोसा नहीं कि वे कब मिल जाएं। इसलिए उसके भरोसे पर रहे। कोई कितना भी तोड़े, आप न टूटें। आज की कथा में गुरुवार रात में हुई बारिश के बाद पंडाल पर शिवलिंग बनने का जिक्र भी पं. मिश्रा ने किया।

भगवान की भक्ति के साथ कर्म भी जरुरी

पं. मिश्रा ने आगे कहा कि भक्ति करों तो मन से, केवल शरीर से नहीं। एक लोटा जल भी चढ़ाओं तो मन से चढ़ाओं। जिस तरह बच्चा दबाव में पढऩे का दिखावा तो करेगा पर ज्ञानार्जन नहीं कर पाता, उसी तरह केवल शरीर से भक्ति का दिखावा करने पर महादेव नहीं मिलेंगे। भक्ति के साथ कर्म करना भी जरुरी। महादेव को फूल चढ़ाओं, जल चढ़ाओं पर उसके साथ कर्म भी करों। भजन भी करों तो यह सोचकर कि हम भगवान की निगाह में हैं, उनके चरणों में हैं। भगवान की भक्ति में, भजन में डूबने मात्र से सब तरह के व्यसन छोड़ सकते हैं, वैसे कितनी भी सौगंध दिलाओ या ताप्ती मैया में खड़े करवा दो, कोई व्यसन नहीं छूटेगा।

परिवार की एकता में ही परम सुख

पं. मिश्रा ने बताया कि कभी किसी बात का अहंकार नहीं करना चाहिए। सामूहिकता व परिवार की एकता में जो सुख है वह कहीं नहीं है। परिवार में रहने से परिवार के किसी पुण्य वाले सदस्य के भाग्य के सुख सबको मिलते हैं। उन्होंने आगे कहा कि स्वर्ग-नर्क यहीं है। यदि पति-पत्नी अच्छे हैं, बच्चे अच्छे हैं, माता-पिता अच्छे हैं, शरीर अच्छा है तो यही समझना होगा कि हम स्वर्ग में ही हैं। आज यहां हम बैठे हैं, मां ताप्ती का नाम ले रहे हैं, श्री शिवाय नमोस्तुभ्यं जप रहे हैं तो यही स्वर्ग है। संयुक्त परिवार में रहने पर भाग्य तत्व प्रबल हो जाता है।

मां ताप्ती ने कराया हस्तिनापुर का अकाल खत्म

पं. मिश्रा ने बताया कि जिस घर में पूजन होता है वहां कभी अकाल नहीं आता। सावन की शिवरात्रि में शिवलिंग निर्माण और पूजन का बेहद महत्व होता है। मां ताप्ती ने भी हस्तिनापुर में पड़े अकाल को घर-घर शिवलिंग निर्माण और पूजन करवा कर ही समाप्त करवाया था और खुशहाली लाई थी। पं. मिश्रा ने आज शिवलिंग पूजन के लाभ भी बताए। साथ ही यह आह्वान भी किया कि कोई कितना भी बहकाए, हम बहके नहीं और पूजन जारी रखें। भगवान की भक्ति का सुख साधारण नहीं है। शिवकथा सुनने के लिए हम जितने कदम चलते हैं, उतने यज्ञ का फल मिलता है।

Betul Today Pradeep Mishra Katha: Pt. Pradeep Mishra said - Devadhidev Mahadev takes care of those who have strong faith, Mahakumbh of Shiva devotees started on the fifth day of the story

दान और सेवा कार्यों का बताया महत्व

पं. मिश्रा ने आज की कथा में दान और सेवा कार्यों का महत्व भी बताया। उन्होंने कहा कि जिसने खूब संपत्ति एकत्रित की, बहुत से कारखााने खोले, फैक्ट्री खोली, उसकी किसी चौराहे पर मूर्ति नहीं मिलेगी। इसके विपरीत किसी गरीब का साथ दिया, उसकी सेवा की। दान से किसी का जीवन बदला तो उसकी मूर्ति जरुर मिलेगी। एक महिला गरीब बच्चों को पढ़ाती थी। उस महिला को राष्ट्रपति पुरस्कार तक मिल गया। हमने अपने शरीर के योगदान से किसी का जीवन संवार दिया तो यहां पुरस्कार मिले या न मिले, ऊपर जरुर सम्मान मिलेगा।

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इंसान में छिपे जानवर को कैसे पहचाने?

पं. मिश्रा ने वर्तमान की स्थिति बताते हुए कहा कि अब जंगल बचे और न जानवर लेकिन कई इंसान ही जानवर बन गए हैं। वे एक-दूसरे को ही खाने में लगे हैं, नुकसान पहुंचाने में लगे हैं। छोटी-छोटी बेटियों के साथ उनके ही रिश्तेदारों के साथ अमानुषिक कृत्य के कारनामे आए दिन अखबारों में हम पढ़़ते ही रहते हैं। जरा से स्वार्थ के लिए भाई ही भाई की जान का दुश्मन बन रहा है। सालों से साथ रहकर विश्वासघात करने वाला, नुकसान पहुंचाने वाला व्यक्ति सबसे जहरीला होता है। मनुष्य का जीवन सबसे कठिन है। जानवर को तो हम पहचान सकते हैं, लेकिन ऐसे इंसान को पहचानना संभव नहीं है।

कुंडकेश्वर महादेव की झांकी की गई प्रस्तुत

पांचवें दिन की कथा समाप्ति पर आज कुंडकेश्वर महादेव की आकर्षक झांकी प्रस्तुत की गई। इसके पश्चात आरती हुई। आज की आरती राजा किलेदार परिवार, सुरेंद्र सोलंकी, सदन आर्य, अनिलसिंह कुशवाह परिवार, जिला एवं सत्र न्यायाधीश बैतूल, मयंक भार्गव, समाजसेवी राजेश आहूजा, देवीसिंह ठाकुर, मोहित गर्ग, प्रवीण गुगनानी, दमोह नपाध्यक्ष किरण खातरकर, अभिषेक अग्रवाल, अनुज तोमर, कमलेश धोटे, मलखान ठाकुर, के द्वारा की गई। आज कथा सुनने के लिए कथा स्थल पर श्रद्धालुओं का जैसे सैलाब ही उमड़ पड़ा। लगभग ढाई लाख श्रद्धालु आज कथा सुनने के लिए पहुंचे। स्थिति यह थी कि पूरा कथा स्थल खचाखच भर गया।

भोजन शाला बना रही सेवा का कीर्तिमान

कथा स्थल पर चल रही भोजन शाला कथा सुनने आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा का लगातार कीर्तिमान बना रही है। कथा शुरू होने के बाद से भोजन शाला में रोजाना लगभग एक लाख श्रद्धालुओं को नाश्ता और भोजन कराया जा रहा है। शुक्रवार को भोजन शाला में करीब डेढ़ लाख श्रद्धालुओं ने भोजन किया। इतने ही श्रद्धालु रात में भी भोजन करेंगे। कल यह संख्या और बढ़ेगी।

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खास बात यह है कि यह भोजन शाला पूरी तरह से जनसहयोग से संचालित है। लोगों से मिल रही सामग्री से ही भोजन तैयार कर मुहैया कराया जा रहा है। भोजन शाला प्रभारी जितेंद्र कपूर, रामकिशोर बोरबन, ओम मालवीय व मुन्ना मानकर के नेतृत्व में सभी सहयोगी और कार्यकर्ता यहां रात-दिन मुस्तैदी के साथ जुटे हैं। यही कारण है कि अभी तक एक बार भी यहां कोई अव्यवस्था नहीं हुई न कभी नाश्ता या भोजन तैयार करने में कोई विलंब हुआ। स्वादिष्ट भोजन बिल्कुल समय पर श्रद्धालुओं को उपलब्ध हो रहा है। इससे श्रद्धालु भी बेहद खुश हैं।

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