Budget 2023 : बजट में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत-CM शिवराज

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Budget 2023 : वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आज आम बजट पेश किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बजट को मिडिल क्लास के लिए राहत बताया है। उन्होंने कहा, बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मध्यम वर्ग को बड़ी राहत दी है। इनकम टैक्स छूट की सीमा में वृद्धि और नई कर व्यवस्था में बदलाव से लोगों के हाथ में अधिक पैसा बचेगा, खपत बढ़ेगी और विकास को गति मिलेगी।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, वित्तमंत्री का बजट भाषण सरकार के पुराने वादों के जुमलो का पर्दा डालने का प्रयास नजर आया। हमें आशा थी कि वित्तमंत्री उन घोषणाओं पर प्रकाश डालेंगी, जो 2022 में पूरी होनी थी। 2022 में किसानों की आमदनी दोगनी होनी थी।

CM बोले, नौकरियां पैदा होंगी

बजट देश की जीडीपी में निर्मला सीतारमण के निस्वार्थ योगदान का सम्मान करता है। यह सही अर्थों में जन भावनाओं का सम्मान कर नागरिकों और राष्ट्र के हित में फैसले लेने वाली सरकार है। कैपिटल एक्सपेंडिचर बजट को 33% बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपए करने से बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलेगा। भारत की विकास क्षमता को बढ़ावा मिलेगा और नौकरियां पैदा होंगी।

कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपए करने से किसानों को अत्यंत आवश्यक वित्त उपलब्ध होगा और खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। फार्म इनपुट मार्केट इंटेलिजेंस और एग्रीटेक स्टार्टअप्स के लिए समर्थन एक लाभदायक कृषि पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा। 3 साल में देश के एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का अच्छा फैसला है। यह प्रकृति के संरक्षण एवं नागरिकों के पोषण को सुनिश्चित करने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है।

वरिष्ठ नागरिक बचत योजना निवेश सीमा को दोगुना कर रु. 30 लाख किया गया है। यह वरिष्ठ नागरिकों को पीएम मोदी का उपहार है। इससे उन्हें अपनी दैनिक जरूरतों, चिकित्सा और तीर्थ यात्रा के खर्चों को पूरा करने में मदद मिलेगी। आवासीय एकलव्य मॉडल विद्यालय के लिए 38000 शैक्षणिक एवं सहायक स्टाफ की भर्ती की घोषणा भी अभिनंदनीय है।

कमलनाथ ने कहा, भविष्य के खोखले सपने दिखा रही सरकार

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, स्पष्ट है कि सरकार भविष्य के खोखले सपने दिखाकर वर्तमान की जटिल परिस्थितियों से लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है। यह प्रवृत्ति देश और अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी नहीं है। 2022 में हर गरीब को आवास उपलब्ध होना था। 2022 में देश में बुलेट ट्रेन चलनी थी। लेकिन, वित्तमंत्री ने इन घोषणाओं के पूरे न होने की न तो कोई वजह बताई और न ही देश की जनता से माफी मांगी।

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा बोले, हमारी अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, यह अमृतकाल का बजट है। वैश्विक मंदी के बावजूद दुनिया ने भारत की आर्थिक स्थिति को सराहा है। हमारी अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है। कल्याणकारी योजनाओं के सफल कार्यान्वयन से देश का सतत विकास सुनिश्चित किया गया है। इस बजट की सात (समावेशी विकास, अंतिम व्यक्ति तक पहुंच, इंफ्रॉस्ट्रक्चर और इंवेस्टमेंट, अपनी क्षमता को विकसित करना, ग्रीन ग्रोथ को बढ़ाना, यूथ पावर, फाइनेंशियल सेक्टर को प्रोत्साहन) प्राथमिकताएं हैं, जो सप्तऋषि की तरह अमृतकाल के दौरान हमारा मार्गदर्शन करेंगी।

समाज के हर वर्ग को कवर किया गया

सागर ग्रुप के एमडी सिद्धार्थ कुमार ने इस बजट को आम लोगों के लिए अच्छा बताया। उन्होंने कहा, सरकार ने इस बजट से आम लोगों के हाथों में सरप्लस इनकम देने की कोशिश की है। लोग इसे एक अच्छा जीवन जीने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। हमारी इकॉनमी और समाज के हर वर्ग को इस बजट में कवर किया गया है।

ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स कैटेगरी में लाने की कोशिश

कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के चेयरमैन मिहिर मर्चेंट का कहना है, भारत सरकार ने इस बजट में टैक्स स्लैब कम कर ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स की श्रेणी में लाने की कोशिश की है। खेती-किसानी, पर्यटन और मैनुफैक्चरिंग पर ज्यादा जोर दिया गया है। स्टार्टअप्स, खासतौर पर खेती किसानी से जुड़े स्टार्टअप को मदद देने की बात भी कही गई। इसके साथ ही किसानों के लिए जो योजनाएं चलाई जा रही हैं, उन्हें भी बढ़ाया गया है।

एससी-एसटी को सीधे तौर पर कुछ नहीं मिला
दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (DICCE) के एमडी डॉक्टर अनिल सिरवाइया ने कहा, DICCE एससी-एसटी वर्ग के उद्यमियों का चैंबर है। इस बजट में अनुसूचित जाति और जनजाति उद्यमियों के लिए सीधी राहत तो नहीं दिखाई देती, लेकिन एग्रीकल्चर सेक्टर में वित्तमंत्री ने 20 लाख करोड़ के लोन का प्रावधान किया है, जो काफी अच्छा है। इससे जरूर इस वर्ग को लाभ मिलेगा। फिशरीज और एनीमल हसबेंडरी की बात कही गई है। एससी-एसटी को इससे फायदा मिलेगा। मिलेट्स को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने की बात की गई है। मध्यप्रदेश और पूरे देश में देखें, तो आदिवासी समाज मोटे अनाज का ज्यादा उत्पादन करता है, लेकिन उन्हें उचित दाम नहीं मिल पाता है। अब जब सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनेगा, तो इन सारे विषयों पर काम करेगा।

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